Thursday, May 27, 2010

क्यों छुपाई मौत की बात परिवार ने

परिवार के लोगों ने मामला सामने आ जाने के बाद भी पुलिस को ये कहा कि ये खुदकुशी है. निरुपमा के पिताजी ने 30 अप्रैल को पुलिस को लिखकर बयान दिया कि उसने खुदकुशी की है और खुदकुशी का कारण उनके परिवार में कोई नहीं जानता.

7 मई को निरुपमा की मां सीजेएम कोर्ट में नालिसी के जरिए पुलिस में एक मुकदमा दर्ज कराती हैं और उसमें कहती हैं कि 29 अप्रैल को उनकी बेटी ने रोते हुए उनसे प्रियभांशु के वादे और धोखाधड़ी के बारे में बताया था. इस नालिसी का मकसद प्रियभांशु को बलात्कार, धोखाधड़ी जैसे संज्ञेय अपराध की धारा में लपेटना था. कोर्ट के ऊपर बिना कुछ कहे ये कहना चाहता हूं कि आप और हम दोनों जानते हैं कि नालिसी कैसे होता है, उसमे क्या होता है और कोर्ट उसमें कैसे काम करता है.

अगर 29 अप्रैल को निरुपमा की मां को प्रियभांशु की धोखाधड़ी के बारे में पता चल चुका था तो इसका मतलब ये है कि उन्हें 30 अप्रैल से पहले ये मालूम रहा होगा कि निरुपमा मां बनने वाली है. लेकिन परिवार के लोगों ने 30 अप्रैल को ये कहा कि उन्हें कारण नहीं पता. इससे साफ है कि निरुपमा के घर वालों को भी नहीं पता था कि निरुपमा मां बनने वाली है. जब पोस्टमॉर्टम से ये पता चला कि वो ढाई से तीन महीने के बीच की गर्भवती थी तभी उसके परिवार को, प्रियभांशु को ये पता चला. अगर उन्हें 29 अप्रैल को ये पता चल गया होता तो 30 अप्रैल को निरुपमा के पिताजी अपने बयान में ही इसका जिक्र करते कि प्रियभांशु ने उनकी बेटी को धोखा दिया, शादी का झांसा देकर संबंध बनाए. लेकिन ऐसा नहीं किया गया क्योंकि इस बात से न तो परिवार और न प्रेमी वाकिफ थे. मां ने बलात्कार का मुकदमा तब दायर किया जब पाठक परिवार को पोस्टमॉर्टम से ये पता चला कि निरुपमा मां बनने वाली थी और जब निरुपमा की मां जेल पहुंच चुकी थीं.

वैसे, प्रियभांशु ने जब ये मान लिया कि अगर निरुपमा मां बनने वाली थी तो बच्चे का बाप वहीं है तो निरुपमा के साथ ही मार डाले गए उस बच्चे से जुड़ी नैतिकता का हर सवाल खत्म हो जाता है. कानून दो व्यस्कों को ये अधिकार देता है कि वो आपसी सहमति से संबंध रख सकते हैं और ऐसा करने के लिए शादी कोई कानूनी बाध्यता नहीं है. इसलिए हम मानते हैं कि वो लोक-लाज से नहीं, किसी और कारण से निरुपमा की मौत को पुलिस से छुपा रहे थे. आपको भी ऐसा मानना चाहिए.

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